कूड़ाघर बनाने में हुआ जमकर भ्रष्टाचार, हल्की बारिश में ही धंस गई जमीन दरक गई दीवारें
आदर्श सहारा टाइम्स
उरुवा, प्रयागराज। सरकार जहां भारत स्वच्छ मिशन अभियान के अंतर्गत लाखों और करोड़ों रुपए ग्राम पंचायत को प्रदान करती है जिससे स्वच्छता अभियान का पालन करवा गांव में स्वच्छता मिशन के अंतर्गत स्वच्छता क़ायम किया जा सके। जिसके अंतर्गत तमाम ग्राम पंचायतों में कूड़ाघर बनाने का कार्य जोर शोर से हो रहा है।
जिसमें सूखा गीला कूड़ा एकत्र कर उसे पौष्टिक खाद में कन्वर्ट करने के दावे प्रशासनिक जिम्मेदार करते है। लेकिन जो तस्वीर ग्राम पंचायतों में देखी जा रही उसमे व्यापक भ्रष्टाचार देखने को मिली है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि कूड़ा सेंटर के नाम पर ग्राम प्रधान व सचिव राजस्व की मलाई काट रहे है।
वही कूड़ाघर की हालत काफी खराब है कहीं आधा अधूरा बनाकर पेमेंट हो जाता है तो कही सिर्फ कागज में ही निर्माण हो कर पेमन्ट हों जाता है तो कही निर्माण होने के बाद महीने दो महीनों में ही जर्जर हो जाता है जिसका दीवार और पिल्लर तक क्रेक हो के गिरने लगता है यह कूड़ा घर की गुणवत्ता और मानक बेकार हो जाते हैं।। जबकि सरकारी आंकड़ों में गांव का मौसम गुलाबी है। और जिले के जिम्मेदार और प्रशासनिक अधिकारियों को बेहतर रिपोर्ट भेज कर संतुष कर दिया जाता है। अगर बात की ग्राम पंचायतों में विकास की तो ये तस्वीर सच बताने के लिये पर्याप्त है।
उरुवा विकासखण्ड के अमिलिया कलां शिवपुरा की जहां पर कूड़ा निस्तारण केंद्र बनाने के नाम पर व्यापक भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है जहां आधा अधूरा घर बनाकर पेमेंट होने की बात सामने आती है जबकि देखा जा रहा है कि उस कूड़ा घर में छाजन भी नहीं लगा है।
कूड़ाघर घर तो बनाया गया है। लेकिन बनने के कुछ महीनो के अंदर कूडाघर की दीवार में जगह जगह क्रेक हो गया और दीवाल धँस गया । नाम न बताने की बात कहकर गांव वाले बताते है कि मिट्टी पटवाने के बाद धँस गई है। जिसका नजरा तस्वीरों में देखा जा सकते हैं।
कूड़ा घर में जगह-जगह टूट गया है ऐसे ही अगर तमाम ग्राम पंचायत का भौतिक सत्यापन की जाए तो भृष्टाचार का पोल खोलने के लिए पर्याप्त होगा और पूरी हकीकत खुलकर सामने आ जाएगी। वही दूसरी तरफ देखा जा रहा है ग्राम पंचायत निधि से इतने पैसे खर्च होने के बाद भी ग्राम पंचायत में स्वक्षता अभियान पूरी तरह फेल दिख रहा है और जगह जगह गंदगी और कूड़े के अंबार की बात सामने आ रही है जबकि स्वच्छता के नाम पर ग्राम पंचायत में लाखों रुपए खर्च करने की बाद भी स्वक्षता फेल नजर आ रही है।