महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर अथवा ( बच्चेदानी का कैंसर) बचाव एवं उपाय

महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर अथवा ( बच्चेदानी का कैंसर) बचाव एवं उपाय

डॉ सोनी कुशवाहा ,(MBBS MS) स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ

 

आदर्श सहारा टाइम्स

कोरांव प्रयागराज। कोरांव के सुकृत अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ सोनी कुशवाहा ने बताया कि महिलाओं में
सर्वाइकल कैंसर का बचाव एवं इलाज दोनों संभव है परंतु इसके प्रति जागरूकता कम होने एवं सामाजिक लोक लिहाज की वजह से सही समय पर लोग डॉक्टर तक नहीं पहुंच पाते हैं। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 में लगभग 77340 महिलाओं की मौत सर्वाइकल कैंसर की वजह से हुई थी।
किसी भी कैंसर में शरीर के किसी अंग की कोशिकाएं असामान्य एवं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं।
कैंसर को हमेशा उसे अंग से नाम से जाना जाता है जहां से कैंसर शुरू होता है। इसलिए कैंसर जब गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होता है तब उसे गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर अथवा सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। इसे बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है।
यह मुख्य रूप से वायरस (HPV), सिगरेट के सेवन, काफी कम एवं ज्यादा उम्र में शादी होने, अत्यधिक बच्चे होने, साफ सफाई का ध्यान नहीं रखने से होता है।
सर्वाइकल कैंसर की शुरुआती दौर में कोई लक्षण नहीं मिलते परंतु जैसे-जैसे यह गंभीर होने लगता है मरीजों में लक्षण मिलने शुरू हो जाते हैं।
अत्यधिक रक्तस्राव, बीच-बीच में ब्लड आना, बदबूदार पानी आना इसका मुख्य लक्षण है।
बचाव के लिए 18 वर्ष से कम उम्र में शादी नहीं करें,
नशीले पदार्थ से बचाव
सफाई का ध्यान रखें
9 से 26 वर्ष की आयु में HPV वैक्सीनेशन
30 से 65 वर्ष की आयु तक नियमित पैप स्मीयर जांच
लक्षण मिलने पर तुरंत योग्य चिकित्सक से सलाह लें।
कैंसर हो जाने पर इसका इलाज मरीज की स्थिति,लक्षण एवं कैंसर के स्टेज के अनुरुप होता है।
शुरुआती स्थिति में पता चल जाने पर ऑपरेशन किया जाता है। यदि कैंसर बढ़ गया हो तो कीमोथेरेपी अथवा रेडियोथेरेपी दिया जाता है।
यदि हम लोग समय पर वैक्सीनेशन करा लें, स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं एवं लक्षण दिखते ही चिकित्सक से संपर्क करें तो कैंसर की वजह से होने वाली लगभग 90% तक मौत को रोका जा सकता है।

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