महाकुम्भ: श्रद्धा, सेवा और समर्पण का महासंगम

महाकुम्भ: श्रद्धा, सेवा और समर्पण का महासंगम

 

ऑथर और स्पीकर शेफाली वैद्य ने साझा किया महाकुम्भ का अनुभव

आदर्श सहारा टाइम्स

महाकुम्भ नगर, प्रयागराज । महाकुम्भ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, सेवा और समर्पण का महायज्ञ है। यह वास्तव में दो प्रकार के लोगों का होता है, वे जो श्रद्धा के साथ आते हैं, और वे जो सेवा में समर्पित होते हैं। ये बातें कही हैं शेफाली वैद्य ने जो एक ऑथर और स्पीकर हैं। शेफाली ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर महाकुम्भ को लेकर अपना अनुभव साझा किया है।

*सच्चे तीर्थयात्री: आस्था के प्रतीक*
वह कहती हैं, महाकुम्भ उन श्रद्धालुओं का होता है, जो केवल विश्वास के साथ आते हैं। वे, जो संगम में पवित्र स्नान के लिए घंटों प्रतीक्षा करते हैं, जो गंगाजल को संजोकर घर ले जाते हैं, जो शिकायत नहीं करते, सिर्फ आस्था रखते हैं। जब वे संगम में डुबकी लगाते हैं, तो मानो वे समय की सीमाओं को लांघ जाते हैं, यह विश्वास रखते हुए कि नदी की गोद में समर्पण से उनके जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाएंगे।

*सेवा भाव: जो देने आते हैं, लेने नहीं*
उनका कहना है कि महाकुम्भ उन सेवकों का भी होता है, जो यहां कुछ मांगने नहीं, बल्कि देने आते हैं। 15,000 सफाई कर्मी, जो करोड़ों श्रद्धालुओं के कदमों के निशान मिटाते हैं, ताकि हर दिन घाट स्वच्छ रहें।हजारों पुलिसकर्मी, जो श्रद्धालुओं की सुरक्षा में दिन-रात तैनात रहते हैं। हजारों बचावकर्मी, जो हर परिस्थिति के लिए तैयार रहते हैं। 550 बसों के ड्राइवर, जो संगम तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं। भंडारे में सेवा देने वाले हजारों लोग, जो निःस्वार्थ भाव से भोजन कराते हैं।डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी, जो कुम्भ नगरी में श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान रखते हैं।मल्लाह, जो तीर्थयात्रियों को संगम की पवित्र जलधारा तक पहुंचाते हैं।

*महाकुम्भ: एक जीवंत धड़कन*
उनका कहना है कि बाकी लोग, जो महाकुम्भ के भव्य आयोजन को देखने, समझने, और अनुभव करने आते हैं, वे बस दर्शक हैं। वे इस भव्यता, अनुशासन और दिव्यता को देखकर विस्मित होते हैं, लेकिन महाकुम्भ उन्हीं का होता है, जो इसमें श्रद्धा और सेवा के साथ जुड़े होते हैं। महाकुम्भ मात्र एक इवेंट नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का स्पंदन है, जो हर 12 वर्षों में आस्था, भक्ति और सेवा के लिए पुकारता है। यह उनका संगम है, जो भक्ति में डूबते हैं, और उनका भी जो अपना तन-मन-धन समर्पित कर इसे संभव बनाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *