ज्ञान परम्परा की विरासत है योग- प्रोफेसर विश्वकर्मा

ज्ञान परम्परा की विरासत है योग- प्रोफेसर विश्वकर्मा

योग को हम जीवन से अलग नहीं कर सकते-प्रोफेसर सत्यकाम

मुविवि में विरासत से विकास : योग की भूमिका विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार

 

आदर्श सहारा टाइम्स

प्रयागराज ।    उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में सोमवार को राज्यपाल सचिवालय के निर्देश पर विरासत से विकास : योग की भूमिका विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। 21 जून 2025 तक योग की विभिन्न विधाओं में श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
इसी कड़ी में समाज विज्ञान विद्याशाखा के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार के मुख्य वक्ता प्रोफेसर ईश्वरशरण विश्वकर्मा, पूर्व आचार्य, प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर एवं पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग, प्रयागराज ने कहा कि आज सारी दुनिया योग के महत्व को जानने लगी है। मन एवं शरीर के शुद्धिकरण से किया गया वह कार्य जो सामाजिक जीवन में प्रगति उत्पन्न करता है, वह योग है । यह हमारी ज्ञान परंपरा की विरासत है। उसकी सफलता है। ज्ञान के रूप में देखें तो योग एक महत्वपूर्ण अभिलेख प्रतिबिंबित होता है।
प्रोफेसर विश्वकर्मा ने कहा कि मानव जीवन के सर्वोत्तम जगहों पर योग उपस्थित है। उसका भाव हमें समझना होगा। प्राचीन ग्रन्थों के अभिलेख में योग का उल्लेख मिलता है। मुख्य वक्ता ने कहा कि प्राण त्यागने की क्षमता या प्रक्रिया योग के ही माध्यम से की जा सकती है। कई ऋषि मुनियों ने योग साधना के द्वारा अपने शरीर को त्याग दिया। कपिलवस्तु में योग की साधना शिक्षा कराई जाती है।
कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि योग ही जीवन में विद्या, ईश्वर, अध्यात्म, ज्ञान एवं कौशल है। योग को मनयोग से करने से पढ़ाई मे मन लगने लगता है । योग को मनयोग से करेंगे तो जरूर सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और विद्यार्थियों को योग अवश्य करना चाहिए। योग की भूमिका का जीवन में बड़ा महत्व है। उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रतिदिन चल रहे योग कार्यक्रम को काफी लाभदायक बताया। कुलपति ने कहा योग एक मूल अवधारणा है। योग एक जीवन एवं साधन है। योग को हम जीवन से अलग नहीं कर सकते। हमारी नई पीढ़ी योग से दूर होती जा रही है इसीलिए परिवार में योग न करने से विघटन पैदा हो रहा है। आज के बच्चे योग का महत्व नहीं समझते हैं इसीलिए पारिवारिक द्वेष और अलगाव हो रहा है।
वाचिक स्वागत एवं अतिथियों का परिचय कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर एस कुमार, निदेशक, समाज विज्ञान विद्याशाखा और कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ सुनील कुमार ने किया। वेबीनार में विश्वविद्यालय के शिक्षकों तथा क्षेत्रीय केंद्र के समन्वयकों ने प्रतिभाग किया। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया।

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