आदर्श रामलीला लोहारी में धनुष यज्ञ का हुआ मंचन,रामायण के इस दिव्य प्रसंग को देखकर भावविभोर हो उठे श्रोता

आदर्श रामलीला लोहारी में धनुष यज्ञ का हुआ मंचन,रामायण के इस दिव्य प्रसंग को देखकर भावविभोर हो उठे श्रोता।

आदर्श सहारा टाइम्स

मेजा, प्रयागराज। आदर्श रामलीला लोहारी द्वारा आयोजित निरंतर 70वर्षों के साथ इस वर्ष रामलीला महोत्सव के अंतर्गत गुरुवार की देर शाम धनुष यज्ञ का भव्य मंचन किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र के हजारों दर्शक उपस्थित रहे और रामायण के इस दिव्य प्रसंग को देखकर भावविभोर हो उठे।
मंचन का प्रारंभ पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुआ। सबसे पहले मंच पर जनकपुरी का राजदरबार सजाया गया, जहाँ राजा जनक अपनी कन्या सीता के स्वयंवर हेतु शिव धनुष की शर्त रखते हैं। कथा के अनुसार, जो भी राजा या वीर शिवजी के धनुष को उठा और प्रत्यंचा चढ़ा देगा, वही सीता से विवाह करने का अधिकारी होगा। इस दृश्य के साथ ही मंचन में अनेक राजाओं और वीरों का आगमन दिखाया गया।
कथा के अनुसार, राजा जनक की इस शर्त को सुनकर दूर-दराज से आए अनेक राजाओं ने प्रयास किया, किंतु कोई भी शिव धनुष को हिला तक नहीं पाया। इसी बीच जनकपुरी में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण का आगमन होता है। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान श्रीराम मंच पर आते हैं और सहज भाव से शिव धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास करते हैं। क्षणभर में धनुष भंग हो जाता है और पूरा जनकपुरी का राजमहल “जय श्रीराम” के गगनभेदी नारों से गूंज उठता है।
मंचन के इस अद्भुत दृश्य को देखकर दर्शकों की आँखों में आनंद और भक्ति के भाव उमड़ पड़े। तालियों की गड़गड़ाहट और “जय श्रीराम” के नारों से पूरा मैदान गूंज उठा। राम और सीता का मिलन देखकर भक्तों के चेहरे प्रसन्नता से खिल उठे।
रामलीला समिति के कलाकारों ने अपने जीवंत अभिनय और दमदार संवाद अदायगी से इस प्रसंग को इतना सजीव बना दिया कि दर्शक स्वयं को त्रेता युग में उपस्थित अनुभव करने लगे। मंच सज्जा, वेशभूषा और प्रकाश व्यवस्था ने दृश्य को और भी भव्य रूप दिया। विशेष रूप से सीता स्वयंवर का मंचन इतना प्रभावशाली रहा कि दर्शकों ने बार-बार कलाकारों की सराहना की।
कार्यक्रम के दौरान रामायण के अन्य प्रमुख पात्रों का भी परिचय कराया गया। रावण, परशुराम और अन्य चरित्रों के आगमन से कथा को और रोचक रूप मिला। मंचन के बीच-बीच में भजन-कीर्तन और रामचरितमानस की चौपाइयाँ सुनाई गईं, जिनसे वातावरण और भी भक्तिमय बन गया।
समिति के अध्यक्ष ने बताया कि रामलीला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने का माध्यम है। धनुष यज्ञ का प्रसंग हमें यह सिखाता है कि सच्चा बल शारीरिक शक्ति में नहीं, बल्कि धर्म और मर्यादा में निहित है। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को भी राम के आदर्शों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सत्य, साहस और नैतिक मूल्यों को अपनाना चाहिए।
कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, शिक्षक और बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। आयोजन स्थल पर सुरक्षा, प्रकाश व्यवस्था और स्वच्छता की विशेष देखरेख की गई। समिति के स्वयंसेवक व सिरसा पुलिस चौकी से मय बल फोर्स द्वारा लगातार सक्रिय रहकर भीड़ को नियंत्रित व शांति व्यवस्था करते रहे।
रामलीला का यह मंचन देर रात तक चलता रहा और दर्शकों की भीड़ अंत तक बनी रही। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी भक्तिभाव से कथा का आनंद लेते रहे। मंचन के उपरांत आतिशबाजी और रंग-बिरंगी झांकियों ने कार्यक्रम को और आकर्षक बना दिया। पात्र व सहयोगियों के नाम अध्यक्ष अजय मोहन यादव, प्रबंधक डॉक्टर अखिलेश यादव, डायरेक्टर डॉक्टर संतोष तिवारी, पंडित कमल शंकर तिवारी, नवदीप चन्द्र यादव, भगवती प्रसाद,गोपाल यादव, डॉक्टर ओंकार नाथ यादव,रत्नेश कुमार छब्बू, जय सिंह यादव,रमेश चंद, राजेश कुमार,आशीष कुमार जीतलाल,दुर्गा प्रसाद वर्मा, सिपाही लाल वर्मा,आलोक तिवारी,राकेश यादव, बाबू साहब पंकज यादव,अखिलेश यादव, अजय यादव,गोपाल जी, पप्पू तिवारी,उमाकांत यादव, जय नारायण,विजय शंकर,डॉक्टर पवन यादव,आशीष यादव, विवेक यादव,शनी,रामराज पटेल, शिवम, छोटू, अनमोल पटेल मंजेशआदि|
अंत में आयोजकों ने सभी उपस्थित दर्शकों और सहयोगियों का आभार प्रकट किया तथा आने वाले दिनों में और भी रोचक प्रसंगों के मंचन की घोषणा की।

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