गर्मी से सूखने लगे हलक, नहीं है देवीगंज मे प्याऊ
आदर्श सहारा टाइम्स
कौशाम्बी। भीषण गर्मी से जनजीवन बेहाल है। नगर के देवीगंज बजार मे व ग्रामीण क्षेत्र सौरई में कहीं भी निश्शुल्क प्याऊ शुरू नहीं होने से ठंडा शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा। कहा जाए तो देवीगंज कस्बा में नेताओं की बड़ी बोली की कमी नहीं है बात पते करें तो किसी भी समाजसेवी संस्था ने निश्शुल्क प्याऊ नहीं लगाया है। हालांकि कुछ स्थानों पर हैण्ड पम्प सुचारु रूप से है। हलाकि स्थानीय लोगों ने नगर पंचायत से मांग की है कि नगर क्षेत्र के प्रमुख मार्ग चौक-चौराहों पर सुराही,मटके रखवाकर प्याऊ खुलवाया जाए और दुकानदार समेत राहगीरों को चलती फिरती प्याऊ द्वारा ठंडा शुद्ध पेयजल पिलाने की व्यवस्था कराई जाए। भीषण गर्मी से जहां एक ओर स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर अभिभावक, शिक्षक झुलस रहे हैं वहीं दिन में घरों से बाजार निकलने वालों का भी बुरा हाल है। पर्याप्त सार्वजनिक प्याऊ न होने से लोग मजबूरी में लोग बोतलबंद या फिर पानी पाउच खरीदने को मजबूर हैं। जबकि बोतल,पाउच पानी कई दिनों का मेनूफक्चर हुए बीत जाते है और प्यास बुझाने के लिए ही लोग सेवन करते है जिससे स्वास्थ पर बुरा असर भी देखने को मिला है नगर द्वारा राहगीरों व स्थानीय लोगों को ठंडा पेयजल उपलब्ध कराने हेतु वाटर कूलर स्थापित कराए जाने की देवीगंज के ब्यापारियों की मांग है। पूर्व मे रहे नगर पंचायत के प्रभारी अधिशासी अधिकारी उपजिलाधिकारी द्वारा नगर के कर्मचारियों को नगर में चुनिंदा स्थानों पर निश्शुल्क प्याऊ शुरू कराने और वाटर कूलर स्थापित करने को कहा गया था जो कर्मियों ने हवा में उड़ा दिया। पिछले कई दिनों से नगर का अधिकतम तापमान 40 डिग्री के आसपास रिकॉर्ड किया जा रहा है। दोपहर में तपिश के असर से लोगों का बार-बार गला सूख रहा है। राहगीरों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिले, इसके लिए जरूरी है कि नगर में एक निश्चित दूरी पर प्याऊ खोले जाएं। वहीं बात कही जाए तो दुकानदार उठा रहे फायदा भीषण गर्मी में दुकानों पर नाश्ता व भोजन आदि करने के बाद लोगों को पीने के लिए गर्म या सादा पानी ही दिया जाता है। इसके बाद ग्राहकों से मोटी रकम ऐठी जाती जबकि आस पास के आये हुए ग्रमीण राहगीरों और ब्यापरियो के पास पानी पिने तक का भी पैसा नहीं बचता कुछ स्वास्थ संबधित डर से बोतल और पाउच का पानी नहीं पीते! देवीगंज के ब्यापारियों ने अधिकारीयों को ध्यान अत्कृष्ट करने को कहाँ।