चायल में ऐतिहासिक कजरी मेले 10 अगस्त को, रक्षाबंधन के अगले दिन लगेगा दो दिवसीय मेला 50 वर्षों से चली आ रही परंपरा

चायल में ऐतिहासिक कजरी मेले 10 अगस्त को, रक्षाबंधन के अगले दिन लगेगा दो दिवसीय मेला 50 वर्षों से चली आ रही परंपरा

 

आदर्श सहारा टाइम्स

आर्य शुक्ला

कौशाम्बी, चायल। कौशाम्बी जनपद के चायल कस्बा में इस वर्ष भी पारंपरिक कजरी मेले का आयोजन 10 अगस्त 2025 को किया जा रहा है। यह मेला रक्षाबंधन के दूसरे दिन हर साल की तरह इस बार भी पूरे उत्साह और भव्यता के साथ आयोजित होगा। गौरतलब है कि इस ऐतिहासिक मेले की परंपरा पिछले लगभग 50 वर्षों से चली आ रही है, और आज भी यह मेला क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय और भीड़भाड़ वाले आयोजनों में गिना जाता है। हर साल की तरह इस बार भी चायल कजरी मेले में दूर-दराज के गांवों और कस्बों से हजारों की संख्या में लोग शामिल होंगे। मेले में परिवार, बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी भारी संख्या में पहुंचकर इस पारंपरिक मेले का लुत्फ उठाते हैं। दो दिवसीय इस मेले में मनोरंजन के भरपूर साधन मौजूद रहेंगे। बच्चों और युवाओं के लिए जहां विशाल झूले, मौत का कुआं, ब्रेक डांस जैसे आकर्षण रहेंगे, वहीं सर्कस के कलाकार और जादूगर अपनी हैरतअंगेज कलाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। कजरी मेले में एक ओर जहां सांस्कृतिक रंग देखने को मिलते हैं, वहीं दूसरी ओर यह मेला स्थानीय व्यापार के लिए भी बेहद अहम है। कपड़े, खिलौने, खाने-पीने की चीजें, लकड़ी व मिट्टी के बर्तन, चूड़ियां, मेहंदी, श्रृंगार का सामान समेत हर प्रकार की दुकानें मेले में सजाई जाती हैं। इस मेले की खास बात यह है कि यहां कजरी गीतों की पारंपरिक प्रस्तुति भी होती है। लोक कलाकारों द्वारा कजरी गायन की प्रस्तुति इस मेले को और भी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान देती है।
भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की बात कही है। पुलिस बल की तैनाती, स्वास्थ्य सेवाएं, ट्रैफिक नियंत्रण और साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है ताकि लोग बिना किसी परेशानी के मेले का आनंद ले सकें। चायल का कजरी मेला केवल एक मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। इस मेले के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति, लोककला और आपसी मेलजोल को भी बढ़ावा मिलता है।

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