स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्री केदारनाथ यादव के नाम से सेनानी द्वार बनाने की मांग

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्री केदारनाथ यादव के नाम से सेनानी द्वार बनाने की मांग

आदर्श सहारा टाइम्स

मेजा,प्रयागराज। प्रयगराज जनपद तहसील मेजा के ग्राम पंचायत रामनगर के स्थाई निवासी है! इसकी चर्चा दूर दूर तक है! प्रयागराज शासन द्वारा इनके परिवार को कोई भी सुविधा नहीं दी गई!शासन द्वारा आज तक अनदेखी किए गए! जनप्रतिनिधि आज सेनानी द्वार तक न बनवा पाए। रामनगर की जनता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम से सेनानी द्वार बनाने की उठाई मांग।
स्व. केदारनाथ यादव पुत्र स्व. श्री सुदुल यादव के घर सन् 1906 में एक होनहार देशभक्त बालक का जन्म प्रयागराज की पावनभूमि त्रिवेणी से 40 किलोमीटर दूर राम नगर के ऐतिहासिक ग्राम में हुआ। श्री यादव तत्कालीन समाज के उस जमाने में सब से उच्च शिक्षा प्राप्त कर आप राजकीय विद्यालय में अध्यापक के पद पर चयनित हुए। युवावस्था में ही गांधी जी के आदशों से प्रभावित होकर गांधी जी के आह्वान पर सविनय अवज्ञा आन्दोलनमें सन् 1930 में कूद पड़े क्येंकि आपको देश की आजादी का जुनून था, इस आन्दोलन में कूदने के कारण आपको अंग्रेजी शासन के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और दिनांक 29.11.1930 को आपको छह माह का कारावास की सजा सुनाई गई। मलाका जेल इलाहाबाद में कारावास अवधि में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के साथ छह माह कारावास में बिताये।
कारावास की अवधि पूर्ण करने के बाद आपको अध्यापक की नौकरी से प्रथक कर दिया गया। युवावस्था में ही गांधी जी के आदर्शों के अनुसरण से आपके अन्दर देशभक्ति, देशप्रेम, त्याग तथा अनुशासन व बलिदान की भावना कूट-कूट कर भरी थीं। इस भावना के कारण ब्रिटिश जज ने “केसर-ए-हिन्द” की उपाधि से नवाजा गया था। श्री यादव के तीन होनहार पुत्र व एक पुत्री पैदा हुई बड़े पुत्र श्री रोल नारायण यादव जबलपुर (मध्यप्रदेश) में राजकीय कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। द्वितीय पुत्र श्री हरिशंकर यादव समाज सेवी और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते थे और सन् 1984 में लोकदल से करछना विधानसभा इलाहाबाद से विधायक का चुनाव लड़े परन्तु सफलता नहीं मिली। तीसरे पुत्र श्री दयाशंकर यादव गृहस्थी व खेती का करते थे। देश की आजादी के बाद स्व. केदारनाथ यादव को पुनः अध्यापक की नौकरी बहाल रखी। आप सादा जीवन, उच्च विचार रखते थे। गांधी जी के सत्य एवं अंहिसा तथा आदर्शों के सिद्धान्तों पर चलते हुए होनहार समाज सेवक, देशभक्त नेता सन् 1980 को हमेशा के लिए ब्रह्मलीन हो हो गये।!

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