श्रीमद्भागवत जीवन को धर्म, सत्य और भक्ति के मार्ग पर ले जाने वाली एक दिव्य धारा है,जगतगुरु स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज
आदर्श सहारा टाइम्स
मेजा ,प्रयागराज। दुर्गावती इंटरनेशनल स्कूल प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को भक्तिमय वातावरण रहा। कथावाचक जगतगुरु स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज ने ध्रुव चरित्र और पुरजनोपाख्यान का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि मनुष्य का जीवन तभी सार्थक होता है, जब वह अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या और मोह से मुक्त होकर सच्चे भाव से भगवान की शरण ग्रहण करता है।
ध्रुव चरित्र का उदाहरण देते हुए राघवाचार्य महाराज ने समझाया कि दृढ़ निश्चय और अटूट श्रद्धा एक साधारण व्यक्ति को भी असाधारण बना सकती है। भगवान केवल भक्त के भाव को स्वीकार करते हैं, न कि उसके पद, धन या शक्ति को।
कथा में यह भी बताया गया कि श्रीमद्भागवत जीवन को धर्म, सत्य और भक्ति के मार्ग पर ले जाने वाली एक दिव्य धारा है। श्रद्धा और भक्ति वह ऊर्जा है, जो मनुष्य को ईश्वर तक पहुंचने में सहायता करती है।
कथा स्थल पर महिलाओं, युवाओं और बुजुर्ग श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या उमड़ी। भजन-संकीर्तन के दौरान श्रद्धालु भावविभोर होकर झूम उठे और पूरा पंडाल ‘हरे कृष्ण—हरे राम’ के जयकारों से गूंज उठा।
कथा प्रतिदिन निर्धारित समय पर आयोजित की जाएगी, जिसका लाभ सभी श्रद्धालु ले सकते हैं। जिसमें क्षेत्र और आसपास के गांवों से भारी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।
