भक्ति, प्रेम, विनम्रता और कर्तव्य ही मनुष्य को मोक्ष के मार्ग पर ले जाते हैं – स्वामी राघवाचार्य
आदर्श सहारा टाइम्स
मेजा ,प्रयागराज। भगवान वस्तु नहीं बल्कि भाव के भूखे हैं- स्वामी राघवाचार्य।
गोसौरा कला स्थित दुर्गावती स्कूल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा पीठ पर विराजमान स्वामी राघवाचार्य महाराज ने कहा कि नारायण किसी भी तरह के अभिमान को बर्दाश्त नही करते हैं। उन्होने देवराज इंद्र का अभिमान चूर कर दिया था। किसी भी भगवत कथा में पांच प्रकार के अभिमान वर्जित हैं। यह कथा में बाधक होते हैं। कथा में भगवान के प्रति समर्पण होना चाहिए। स्वामी राघवाचार्य महराज ने कहा कि अभिमान रूप, अर्थ, यौवन, पुरुषार्थ या अन्य किसी का हो ठाकुर जी को यह मंजूर नही है। इंद्रदेव ने जब गोकुल को नष्ट करने के लिए मूसलाधार वर्षात की थी तो कृष्ण भगवान ने तर्जनी पर गोवर्धन पर्वत उठा कर गोकुल की रक्षा कर इंद्रदेव का मान मर्दन कर उन्हें अभिमान ना करने की नसीहत दी है।
स्वामी जी ने कथा विस्तार में रूक्मणी विवाह, सुदामा चरित्र और द्वारिका लीला का दिव्य एवं प्रेरणादायी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भक्ति, प्रेम, विनम्रता और कर्तव्य ही मनुष्य को मोक्ष के मार्ग पर ले जाते हैं और
सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान वस्तु नहीं बल्कि भाव के भूखे हैं। कृष्णङ्कसुदामा की मित्रता सादगी, विनम्रता और निष्कपट संबंधों का संदेश देती है।
कथा का सार बताते हुए महाराज जी ने कहा कि भक्तियोग का मूल सार यही है कि मनुष्य अपने जीवन में सत्य, करुणा, सेवा, प्रेम और नीति को स्थान दे।
कथा के मुख्य यजमान पंडित इंद्रमणि मिश्रा व श्रीमती दुर्गावती मिश्रा हैं। कार्यक्रम की व्यवस्था पर डॉ स्वतंत्र मिश्रा की पैनी नजर बनी रहती हैं। डॉ.मिश्रा ने बताया कि कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक होती है। उन्होंने बताया कि 14 दिसंबर को भव्य महाप्रसाद का आयोजन रखा गया है जिसमें सभी श्रद्धालुओं से जुड़ने के लिए आग्रह किया गया है। जिसमें बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
