श्री हरिशचंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय वाराणसी में रिसर्च मेथाडोलॉजी पर हुआ एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

 

श्री हरिशचंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय वाराणसी में रिसर्च मेथाडोलॉजी पर हुआ एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

आदर्श सहारा टाइम्स

वाराणसी/प्रयागराज । श्री हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय वाराणसी में रविवार को आंतरिक गुणवत्ता एवं अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया l इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र, बी.एच.यू. (IUCTE, BHU) के निदेशक प्रोफेसर पी. एन. सिंह ने कहा कि हमारे अनेक आचार्यों एवं अन्वेषकों ने कठिन परिश्रम करके ज्ञान अर्जित किया और यही ज्ञान सभ्यता, समाज को उन्नत करती है। उन्होंने कहा कि आज का समाज ज्ञान का समाज है और जिसके पास ज्ञान तंत्र है वह सबसे धनी है। हमें वैश्विक स्पर्धा में आने की आवश्यकता है l नैतिकता को जीवित रखना आवश्यक हैl जब तक नैतिक बोध विकसित नहीं होगा तब तक उत्तम कार्य संभव नहीं होगा l विश्व के कल्याण हेतु शोध में नवाचार, शुद्धता एवं परिसंगतता, तर्कसंगतता होनी चाहिए l शोधार्थी में नैतिक बोध एवं नैतिक जिम्मेदारी का होना आवश्यक है l
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर रजनीश कुंवर ने कहा कि अनुसंधान समाज के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ नवीनतम भी होना चाहिए साथ ही इसमें दोहराव भी नहीं होना चाहिए l त्रिस्तरीय जांच से गुजर कर जो शिखर तक पहुंचते हैं, असल मायने में वे शोधकर्ता होते हैं l आधारभूत संरचना भी काफी मायने रखता है l शिक्षकों के प्रखर नहीं होने से शोधकर्ता को जो फायदा होना चाहिए वह नहीं हो पाता है l उन्होंने आगे बताया कि सीखने के साथ सतत अध्ययन की आवश्यकता है l अनुसंधानकर्ता को किन-किन बातों की जानकारी होनी चाहिए, इस विषय में उन्होंने विस्तृत जानकारी दी l
संगोष्ठी के प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता प्रोफेसर मीनाक्षी सिंह, रसायन शास्त्र विभाग, महिला महाविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने अनुसंधान पद्धति की कुछ बुनियादी अवधारणाओं के बारे में बात की, जिन्हें गुणवत्तापूर्ण शोध करने के संदर्भ में जाना अति आवश्यक है l उन्होंने गुणात्मक एवं मात्रात्मक शोध प्रतिमान, साहित्य समीक्षा के प्रकार एवं विभिन्न शोध प्रकारों के बारे में भी चर्चा की l उन्होंने रिसर्च मेथाडोलॉजी तथा रिसर्च मेथड के बीच अंतर को स्पष्ट किया l
संगोष्ठी के द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर विनोद कुमार तिवारी, रसायन विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने शोध के विचार को बहुत सम्मान दिया और समझाया कि कैसे एक अच्छा शोध समाज के विकास में मदद करता है l उन्होंने शोध के गुणों एवं महत्व पर भी प्रकाश डाला और बताया कि कैसे अनुसंधान यह समाज को प्रभावित करता है l उन्होंने बताया कि इस तरह की कुछ विशेषताओं में वैज्ञानिक रूप से अनुसंधान, निष्पक्षता, दस्तावेज को संपादित करने की क्षमता और उन शोध स्रोतों की उचित स्वीकृति सिद्ध करना शामिल है, जिनसे अनुसंधान करने के लिए प्रासंगिक विचार लिए गए हैं l
सेमिनार संयोजक प्रोफेसर अनिल कुमार ने विषय स्थापना किया और आगे बताया कि भविष्य में शोधार्थी व नवीन शिक्षकों को इस संगोष्ठी से शोध कार्य करने में मदद मिलेगी l उन्होंने आगे बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में 200 विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल से 61 और यू.एस.ए. से एक एब्स्ट्रैक्ट पंजीकृत किए गए। रिसर्च मेथाडोलॉजी विषय पर चतुर्थ सेमेस्टर के 50 विद्यार्थी व 25 शोधार्थियों द्वारा पोस्टर एवं मौखिक प्रस्तुति के द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किया गया l इस सेमिनार में अतिथियों द्वारा स्मारिका का भी विमोचन किया गया|
संगोष्ठी का संचालन आयोजन सचिव प्रोफेसर वी.के. निर्मल एवं स्वागत प्रोफेसर अनुराधा राय व धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर ऋचा सिंह ने किया। इस अवसर पर मुख्य नियंता प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह, प्रो. संजय सिंह, प्रो. अनुपम शाही, डॉ. वंदना पांडे, डॉ. प्रज्ञा ओझा, डॉ. रविश कुमार, डॉ. राम आशीष यादव, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. दुर्गेश सिंह यादव, डॉ. सीमा सिंह, डॉ. शिवानंद यादव सहित महाविद्यालय के सभी शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे l

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