खबर का बड़ा असर – जब न्यायालय के आदेश की उड़ी धज्जियां, तब “आदर्श सहारा टाइम्स” बना जनता की आवाज़
आदर्श सहारा टाइम्स
आर्या शुक्ला
कौशांबी। जिले में जमीन विवाद अब कानून के कागज़ों से निकलकर खूनी संघर्ष और सत्ता-पैसे के गठजोड़ का मैदान बन चुके हैं। न्यायालय द्वारा पारित स्थगन आदेश (स्टे) को धत्ता बताते हुए खुलेआम निर्माण कार्य जारी था, और जिम्मेदार अफसरों की आंखें बंद थीं। लेकिन जब “*आदर्श सहारा टाइम्स*” ने इस खुली अवमानना को उजागर किया, तो प्रशासन की नींद टूटी और पुलिस हरकत में आई। कड़ा धाम थानाध्यक्ष धीरेन्द्र सिंह को आखिरकार मौके पर पहुंचकर विवादित निर्माण कार्य रुकवाना पड़ा। यह कार्रवाई तब हुई जब अखबार ने इस मामले को जोरदार ढंग से उठाया, वरना ज़मीन कब्जाने का खेल यूं ही चलता रहता। हैरत की बात ये है कि न्यायालय का आदेश होते हुए भी निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहा था, और शिकायतों के बावजूद कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। यह साबित करता है कि जिले में न तो कानून का डर है और न ही प्रशासनिक जवाबदेही।
