पानी निकासी के लिए नाले की सफाई नहीं होने से फसल बर्बाद , अन्नदाता परेशान

पानी निकासी के लिए नाले की सफाई नहीं होने से फसल बर्बाद , अन्नदाता परेशान

 

आदर्श सहारा टाइम्स

उरुवा, प्रयागराज ।बारिश का मौसम फसल के लिए वरदान होता है। इस मौसम में बीजाकुंर तेजी से होता है और उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है, लेकिन मेजा क्षेत्र में पिछले दिनों 14 घण्टे की बारिश से अमिलिया कलां के लगभग 200 किसानो के लिए यह मौसम कठिनाई लेकर आया था।अमिलिया कलां में लगभग 500 बीघे धान , अरहर और बाजरे के खेतों में बारिश का पानी कमर से ऊपर तक भर जाने से खेत तालाब के समान नजर आने लगा। और किसानों की सारी फसलें डूब गईं। और लगभग 15 दिन बीत जाने के बाद भी पानी निकासी की कोई व्यवस्था प्रशाशन की तरफ़ से नहीं की गई। जिससे किसानों की सारी उम्मीद अब टूट चुकी है।

किसान मुन्ना बजरंगी ने बताया कि 12 बीघे धान की रोपाई की थी जिसमें 3000 रुपए बीघे मजदूरों को रोपाई के ,1400 रुपए बीघे खेत जुताई के ,12 बोरी डीएपी और कीटनाशक दवाओं के पीछे कुल 90000 की भर्ती लगाई थी। अब एक भी दाना कैसे मिलेगा। 1 रुपए की भी फ़सल नही बची।

वही किसान रत्नेश कुशवाहा ने भी बताया की 2 बीघे की धान की फ़सल पूरी तरह डूब गई । लेकिन प्रशाशन की तरफ़ से पानी की निकासी की व्यवस्था अब तक नही हो सकी।

वही समाजसेवी शैलेश कुमार कुशवाहा ने बताया की उनकी भी 2 बीघे की धान की फ़सल पूरी तरह डूब गई है क्षेत्र के कई गावों में यही स्थिति है । स्थानीय सांसद,विधायक को जनता की परेशानी नहीं दिख रही। और तहसील प्रशासन अब तक कुंभकर्णी नींद में सो रहा है।
आगे शैलेश कुमार ने कहा की तहसील प्रशासन और जिला अधिकारी जी को ऐसे गावों के किसानों को चिन्हित करके उचित मुआवजा राशि दिलवाना चाहिए। हालांकि ये ऊंट के मुंह में जीरा के समान होगा। लेकिन छोटे किसानों को कुछ राहत ज़रूर मिलेगी।

समाजसेवी ने नाराज शब्दों में कहा कि अगर एक सप्ताह के अन्दर पानी की निकासी नहीं होगी। और किसानों के नुकसान की भरपाई का उचित मुआवजा देने का ऐलान नही किया जाता तो तहसील स्तर और जिला मुख्यालय पर किसानों का धरना होगा। जिसकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होगी।

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