पगली नहीं कोई की बेटी थी वो, चौकी इंचार्ज पूनम कबीर ने पुलिस की वर्दी को बना दिया भरोसे का आँचल

पगली नहीं कोई की बेटी थी वो, चौकी इंचार्ज पूनम कबीर ने पुलिस की वर्दी को बना दिया भरोसे का आँचल

 

आदर्श सहारा टाइम्स

कौशाम्बी । जहाँ लोग अक्सर ‘पागल’ कहकर नजरें फेर लेते हैं, वहीं सराय अकिल थाना की भगवानपुर चौकी इंचार्ज पूनम कबीर ने उस अनसुनी आवाज़ को सुना, उस गुमनाम चेहरे को पहचाना, और वो कर दिखाया जो समाज अक्सर भूल जाता है – इनसान को इनसान समझना।

यह घटना गुरुवार देर रात की है। सराय अकिल थाना क्षेत्र के बहुंगरा गांव के पास एक महिला बेसुध अवस्था में सड़क किनारे बैठी मिली। शरीर पर धूल, चेहरे पर थकावट और आंखों में गुमशुदा पहचान की तलाश। वो न अपना नाम बता पा रही थी, न पता। न आगे का रास्ता याद था, न पीछे की कहानी। आसपास के ग्रामीण उसे कई दिनों से भटकते देख रहे थे, मगर किसी ने आगे बढ़कर उसकी सुध नहीं ली। लेकिन उसी अंधेरे में वर्दी की एक रौशनी चमकी — महिला दरोगा पूनम कबीर, जो रात में गश्त पर थीं, उनकी नजर इस महिला पर पड़ी। बाकी लोग उसे ‘मानसिक रूप से विक्षिप्त’ कहकर किनारा कर चुके थे, लेकिन पूनम ने उसे इनसान समझा।

पूनम कबीर ने न सिर्फ महिला से बात करने की कोशिश की, बल्कि उसे अपनी गाड़ी में बैठाया, पानी पिलाया और सहजता से समझाया कि वो सुरक्षित है। गांव के प्रधान और अन्य ग्रामीणों से जानकारी जुटाई गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। ऐसे में पूनम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वन अंब्रेला मानसिक पुनर्वास केंद्र, मेहनाजपुर से समन्वय किया। पूनम ने स्वयं अपनी देखरेख में महिला को अपने वाहन से पुनर्वास केंद्र तक पहुंचाया, उसके लिए औपचारिकताएं पूरी कीं और यह सुनिश्चित किया कि इलाज और देखभाल शुरू हो। वहां के स्टाफ को विशेष रूप से निर्देशित किया गया कि “उसके साथ दया, गरिमा और सम्मान के साथ पेश आएं।”

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